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सब्सिडी योजना

जल्द ही इस राज्य के 3.17 लाख किसानों को मिलेगा बिना ब्याज का फसल ऋण

जल्द ही इस राज्य के 3.17 लाख किसानों को मिलेगा बिना ब्याज का फसल ऋण

केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए लगभग सभी राज्य सरकारें अपने स्तर पर प्रयास भी कर रही हैं। जिसके अंतर्गत सरकारें किसानों को खाद बीज से लेकर सौर कृषि सिंचाई पंप तक उपलब्ध करवा रही हैं, ताकि किसान अपनी उत्पादकता को तेजी से बढ़ा सकें। खेती करने के लिए किसानों को सरकारें ऋण भी उपलब्ध करवाती हैं, ताकि किसानों को धन की कमी न पड़े। कई बार तो किसानों की ब्याज भी सरकारें खुद ही वहन करती हैं, ताकि किसानों के ऊपर अतिरिक्त बोझ न पड़े।


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इस कड़ी में राजस्थान सरकार भी अपने किसानों का खास ख्याल रखते हुए उन्हें धन उपलब्ध करवा रही है। ताकि किसानों को पैसों की तंगी का सामना न करना पड़े। राजस्थान की कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहा है, कि राज्य सरकार राजस्थान के किसानों को लोन देने की योजना में 3.17 लाख अतिरिक्त किसानों को शामिल करने जा रही है। जिसमें किसानों को बिना ब्याज के लोन बांटा जाएगा, साथ ही यह काम मार्च 2023 के पहले पूर्ण कर लिया जाएगा। इसके पहले किसानों को लोन देने की योजना के अंतर्गत इस साल नवम्बर माह तक सरकार ने 26.92 लाख किसानों को लोन बांटा है। इस योजना के अंतर्गत सरकार ने किसानों को अब तक 12 हजार 811 करोड़ रुपये का लोन दिया है। राजस्थान सरकार ने इस योजना में इस साल 1.29 लाख नए किसानों को जोड़ा है। अब इस योजना को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार सभी किसानों को सहकारी समितियों के साथ जोड़ रही है। जो किसानों को बेहद आसानी से लोन उपलब्ध करवाती हैं।


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किसानों को लोन उपलब्ध करवाने की जानकारी सहकारिता विभाग के अधिकायों ने एक बैठक में दी। यह बैठक जयपुर स्थित अपेक्स बैंक के हॉल में पूर्ण हुई। इस अवसर पर अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार किसानों को बिना ब्याज का ऋण उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए राज्य सरकार नेशनल बैंक फॉर रूरल एंड एग्रीकल्चर डेवलपमेंट (नाबार्ड) की योजनाओं का उपयोग करेगी। अपेक्स बैंक के हॉल में हुई मीटिंग में अधिकारियों ने बताया कि सरकार लगातार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रयत्न कर रही है। इसको ध्यान में रखते हुए किसानों को एग्री बिजनेस के मॉडल से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। अगर केंद्र सरकार की बात करें तो केंद्र सरकार ने खेती बाड़ी को बढ़ावा देने के लिए एग्री क्लिनिक-एग्री बिजनेस सेंटर योजना की भी शुरुआत की है। इन योजनाओं का लाभ उठाकर किसान भाई कृषि का धंधा या कृषि स्टार्टअप की शुरुआत कर सकते हैं, जिससे किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने में मदद मिल सकती है।


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इसके साथ ही बैठक के दौरान बताया गया कि एग्री क्लिनिक-एग्री बिजनेस सेंटर योजना के अंतर्गत सरकार किसान को 45 दिनों का प्रशिक्षण देती है। यह प्रशिक्षण सरकार की तरफ से कृषि लोन या आर्थिक सहायता मिलने से पहले ही दिया जाता है। जिससे किसान को कई तरह के फायदे होते हैं ओर वह अपने बिजनेस को तेजी से आगे बढ़ा सकता है। पहले जहां किसानों को सहकारी समितियों से सीमित मात्रा में ही लोन मिलता था और उसके लिए किसानों को बहुत सारी परेशानियां झेलनी पड़ती थी। लेकिन अब स्थिति परिवर्तित हो रही है। अगर वर्तमान की बात करें तो अब एग्री बिजनेस यानी कृषि से जुड़ा कोई भी व्यवसाय करने के लिए नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) बहुत आसानी से लोन उपलब्ध करवाता है। यह लोन 20-25 लाख रुपये तक हो सकता है, जिसके लिए किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना होता है।


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अगर किसानों को आर्थिक तौर पर सशक्त करने की बात करें, तो केंद्र सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं। जिन योजनाओं के माध्यम से किसानों को सब्सिडी उपलब्ध कारवाई जा रही है ताकि किसानों के ऊपर अतिरिक्त बोझ न पड़ने पाए। यह सब्सिडी ऋण पर लगने वाले ब्याज पर दी जाती है, जो 36 प्रतिशत से 44 प्रतिशत तक हो सकती है। इस सब्सिडी योजना में समान्य वर्ग के किसान को ब्याज पर 36 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है जबकि एससी-एसटी और महिला आवेदकों को ब्याज पर 44 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है। केंद्र सरकार की योजना के अनुसार यदि 5 या 5 से अधिक किसान ऋण लेने के लिए एक साथ आवेदन करते हैं, तो उन्हें 1 करोड़ रुपये तक का ऋण दिया जा सकता है, साथ ही केंद्र सरकार किसानों को प्रशिक्षण भी दिलवाती है।
मशरूम उत्पादन यूनिट के लिए यह राज्य दे रहा है 40% तक सब्सिडी

मशरूम उत्पादन यूनिट के लिए यह राज्य दे रहा है 40% तक सब्सिडी

आजकल भारत में अंतरवर्तीय खेती बहुत ज्यादा चलन में है। पारंपरिक फसलों के साथ-साथ किसान सब्जी, फल, औषधि और मसालों की भी खेती करने लगे हैं। इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी तो मिल ही जाती है। पिछले कुछ समय से मशरूम भी एक ऐसी ही फसल है जो प्रमुख बागवानी फसल बनकर सामने आई है। बिहार जैसे कई राज्य मशरूम की खेती करते हुए अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं। दूसरे राज्य भी आज बिहार से प्रेरित होकर मशरूम की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। देश-विदेश में सुपरफूड के तौर पर इस फंगी/कवक की मांग बढ़ रही है। बिहार की तर्ज पर ही राजस्थान सरकार भी मशरूम की खेती को बढ़ावा दे रही है। राज्य में किसानों को मशरूम यूनिट लगाने के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही है। सरकार ने किसानों से इसके लिए आवेदन भी मांगे हैं।

कैसे ले सकते हैं अनुदान का लाभ

मशरूम उत्पादन यूनिट लगाने के लिए राजस्थान की सरकार 40% सब्सिडी पर 8 लाख रुपये का क्रेडिट लिंक बैक एंडेड अनुदान देती है। अगर आप 2000000 रुपए तक की लागत में मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। तो इसके लिए 40% की सब्सिडी सरकार द्वारा आप को दी जाएगी। इसके लिए सरकार 8 लाख रुपये प्रति इकाई क्रेडिट लिंक बैक एंडिडयड अनुदान देती है। ये भी देखें: बिहार में मशरूम की खेती करने पर सरकार दे रही 90 फीसदी अनुदान वहीं 15 लाख रुपये तक की लागत वाली इकाई के लिए भी 40% अनुदान पर 6 लाख रुपये का क्रेडिट लिंक बैक एंडिड अनुदान दिया जाता है।

किन किसानों को मिलेगा लाभ

मशरूम एक बागवानी फसल है और इसी के तहत राजस्थान सरकार राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत इसके लिए अनुदान दे रही है। लेकिन राजस्थान सरकार ने अनुदान देने के लिए कुछ जिले चयनित किए हैं। जो इस प्रकार से हैं। अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, भीलवाड़ा, बूंदी, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, श्रीगंगानगर, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झालावार, झुंझुनू, जोधपुर, कोटा, नागौर, पाली, सिरोही, सवाई माधोपुर, टोंक, उदयपुर, बांरा और करौली के किसान या किसानों के समूह को ही अनुदान के लिए शामिल किया गया है।

कैसे कर सकते हैं आवेदन

अगर आप भी राजस्थान से हैं और मशरूम उत्पादन यूनिट लगाने के बारे में सोच रहे हैं। तो सरकार की तरफ से दी जा रही क्रेडिट लिंक बैंक एंडेड सब्सिडी योजना का लाभ आप ले सकते हैं। इस स्कीम में आवेदन करने से पहले अपने जिले के कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। यहां पर कार्यालय में जाकर ही आप इस योजना से जुड़ी हुई सभी तरह की जानकारी ले सकते हैं। जानकारी के बाद कृषि विभाग में ही आप ऑफलाइन अपना फॉर्म जमा करवा सकते हैं या फिर किसी नजदीकी मित्र केंद्र या सीएससी सेंटर पर जाकर भी निशुल्क आवेदन कर सकते हैं। ध्यान रखें कि किसानों को आवेदन के साथ कुछ डोक्यूमेंट भी अटैच करने होंगे। जिसमें आधार कार्ड, बैंक पासबुक, पैन कार्ड, किसान का शपथ पत्र या लोन की कॉपी, जनाधार या भामाशाह कार्ड की कॉपी और अपनी पूरी प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी सब्मिट करनी होगी।
यह राज्य सरकार कृषकों को कृषि यंत्र खरीद पर अच्छा-खासा अनुदान प्रदान कर रही है

यह राज्य सरकार कृषकों को कृषि यंत्र खरीद पर अच्छा-खासा अनुदान प्रदान कर रही है

मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से किसानों के हित में ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंतर्गत कृष उपकरणों और मशीनों को खरीदने पर 30 से 50 फीसद तक अनुदान मुहैय्या करा रही है। आधुनिक दौर में खेती विज्ञान पर आधारित हो चुकी है। खेती को सुगम और सरल बनाने कि लिए प्रतिदिन नवीनतम मशीनों का आविष्कार किया जा रहा है। इन मशीनों के इस्तेमाल से वक्त की भी बचत होती है। साथ ही, खेती पर किए जाने वाले खर्चे में भी काफी सहूलियत मिलती है। इन्हीं वजहों के चलते अलग- अलग राज्य सरकारें अपने- अपने राज्यों में कृषि यंत्रों की खरीद हेतु बेहतरीन अनुदान देती हैं। जिससे किसान भाईयों को खेती करने में किसी भी तरह की कोई समस्या ना हो पाए। कृषि जागरण के अनुसार, मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से किसानों को ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंतर्गत कृषि मशीनों की खरीद पर अच्छी-खासी सब्सिडी देने की घोषणा की है। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सरकार भी इस बात से सहमत है, कि वर्तमान में खेती तकनीक पर आधारित हो गई है। अगर किसान भाइयों को आधुनिक और नवीन मशीनों की खरीद पर आर्थिक सहायता प्रदान नहीं की जाए, तो बाकी राज्यों के कृषकों से पीछे रह जाएंगे। दरअसल, कृषि यंत्र अत्यंत महंगे मिलते हैं। समस्त किसान इन्हें खरीदने के लिए सक्षम नहीं होते हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर एमपी सरकार द्वारा कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान प्रदान करने का निर्णय लिया है।

इन यंत्रों की खरीद पर कितने प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा

मध्य प्रदेश सरकार ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंतर्गत कृषि ऊपकरणों एवं मशीनों की खरीद पर 30 से 50 प्रतिशत तक अनुदान मुहैय्या करा रही है। इससे कृषकों को श्रू मास्टर, मल्चर, सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, सुपर सीडर, क्रॉप रीपर, हैप्पी सीडर और जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर की खरीद करने पर 40 से 60 हजार रुपये का अनुदान मुहैय्या करा रही है। साथ ही, मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से अनुदान की घोषणा करने पर किसानों के मध्य प्रशन्नता की लहर है। किसान भाइयों को यह उम्मीद जताई है, कि इन यंत्रों की सहायता से खेती करने पर अच्छी उपज मिल सकेगी।

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जितने भी विकसित देश हैं सब मशीनों के सहयोग से खेती करते हैं

आज की तारीख में जितने भी विकसित देश हैं, वहां यंत्रों एवं मशीनों की सहायता से खेती-किसानी की जा रही है। रूस, अमेरिका और कनाड़ा समेत बहुत सारे विकसित देशों में किसान अकेले ही यंत्र की सहायता से सैंकड़ों एकड़ में उत्पादन कर रहे हैं। अगर भारत में समस्त किसानों के पास कृषि यंत्र की उपलब्धता हो जाए, तब यहां के कृषक भी पश्चिमी देशों के किसानों की भाँति बेहतरीन ढंग से खेती कर सकेंगे। बतादें, कि मध्य प्रदेश के अतिरिक्त दूसरे प्रदेश भी कृषि यंत्रों की खरीद पर वक्त-वक्त पर अनुदान मुहैय्या करा देते हैं। साथ ही, विगत फरवरी माह में पंजाब सरकार द्वारा कृषि यंत्रों की खरीद करने पर 50 प्रतिशत अनुदान देने की घोषणा की थी। जनरल कैटेगरी में आने वाले किसानों को 40 प्रतिशत अनुदान धनराशि प्रदान की जा रही थी। साथ ही, बाकी श्रेणी के कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान था।
ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में मिल रहा 6500 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान

ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में मिल रहा 6500 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान

बिहार सरकार किसानों के हर संभव लाभ हेतु निरंतर कदम उठा रही है। फिलहाल, राज्य सरकार की तरफ से किसानों को 6500 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान देने की घोषणा की है। इससे किसानों को काफी सहूलियत प्राप्त हुई है। जैसा कि हम जानते हैं, कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। क्योंकि, भारत की बड़ी जनसँख्या खेती पर अपने जीवन यापन या आजीविका के लिए निर्भर है। खेती में रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी वजह से खेती की उर्वरकता काफी तेजी से समाप्त हो रही है। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार का प्रयास रहता है, कि किसान खेतों में कैमिकल फर्टिलाइजर का प्रयोग कम करें। इससे खेती की पैदावार दीर्घकाल तक बनी रहेगी। इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने की विभिन्न कोशिशें कर रही हैं। इस प्रकार की खेती करने के लिए किसानों को रिझाया भी जा रहा है। बिहार सरकार आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए बड़ा कदम उठा रही है।

बिहार में आर्गेनिक खेती से आय में होगा इजाफा

बिहार में आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार निरंतर कदम उठा रही है। अब कृषि विभाग ने ऐलान किया है, कि राज्य में जैविक खेती करने वाले कृषकों की आर्थिक मदद करने के लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है। आर्गेनिक खेती से भी किसान को सहायता मिलेगी। इससे जहां पैदावार में वृद्धि आएगी। वहीं, पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचेगा।

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6500 रुपये प्रति एकड़ तक अनुदान मुहैय्या किया जाएगा

बिहार के कृषि विभाग का कहना है, कि जैविक प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत किसानों की सहायता की जा रही है। इसके अंतर्गत आर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को 6500 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता प्रदान की जाएगी। यह धनराशि 2.5 एकड़ तक के कृषकों के लिए है। यूँ समझ लिजिए कि अगर किसान 5 या 10 एकड़ भी खेती करते हैं, तो उनको केवल 2.5 एकड़ के लिए ही सहायता प्रदान की जाएगी। किसान को 16 हजार 250 रुपये प्रोत्साहन धनराशि के तौर पर मुहैय्या कराए जाएंगे। किसी भी प्रकार की मन में शंका है, तो टॉल फ्री नंबर 1800-180- 1551 पर भी कॉल कर सहायता ली जा सकती है।

आर्गेनिक खेती करने से क्या क्या फायदे होते हैं

भारत के अंदर प्राचीन समय से ही जैविक खेती ही की जाती थी। परंतु, ज्यादा उत्पादन एवं अतिशीघ्र फसल की चाहना में अंधाधुंध रसायनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पहले खेतों में उर्वरकों के रूप में गाय एवं मवेशियों के गोबर का इस्तेमाल होता था। इससे पैदावार काफी अच्छे स्तर से बढ़ती थी। भूमि की उर्वरकता भी काफी बेहतर रहती है। केंद्र और राज्य सरकार का यही प्रयास रहा है, कि किसान खेती की उसी प्राचीन परंपरा को पुनः सुचारू करें।
इस राज्य में किसानों को निःशुल्क पौधे, 50 हजार रुपये की अनुदानित राशि भी प्रदान की जाएगी

इस राज्य में किसानों को निःशुल्क पौधे, 50 हजार रुपये की अनुदानित राशि भी प्रदान की जाएगी

बिहार सरकार बागवानी को प्रोत्साहन दे रही है। कृषकों को बागवानी क्षेत्र से जोड़ने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। उनको शर्ताें के मुताबिक फ्री पौधे, आर्थिक तौर पर सहायता भी की जा रही है। भारत के कृषक अधिकांश बागवानी पर आश्रित रहते हैं। बतादें कि देश के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार सहित समस्त राज्यों में बागवानी की जाती है। किसान लाखों रुपए की आमदनी कर लेते हैं। साथ ही, राज्य सरकारों के स्तर पर कृषकों को काफी सहायता दी जाती है। इसी कड़ी में बिहार सरकार की तरफ से एक अहम कवायद की गई है। राज्य सरकार से कृषकों को बागवानी हेतु नि:शुल्क पौधे मुहैय्या किए जाऐंगे। साथ ही, उनको मोटा अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। राज्य सरकार की इस योजना से किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं।

इस प्रकार किसानों को निःशुल्क पौधे दिए जाऐंगे

बिहार सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, नालंदा जनपद में निजी जमीन पर 15 हेक्टेयर में आम का बगीचा लगाता है, तो उसको निःशुल्क पौधे दिए जाएंगे। सघन बागवानी मिशन के अंतर्गत 10 हेक्टेयर जमीन में आम का बगीचा लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एक किसान 8 कट्ठा साथ ही ज्यादा से ज्यादा एक हेक्टेयर में पौधे लगा सकते हैं। 5 हेक्टेयर में अमरूद और 5 हेक्टेयर में केला और बाग लगाने वाले किसानोें को भी सब्सिड़ी प्रदान की जाएगी। ये भी पढ़े: बागवानी के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर हर किसान कर सकता है अपनी कमाई दोगुनी

योजना का लाभ पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर मिलेगा

किसान भाई इसका फायदा उठाने के लिए ऑनलाइन माध्यम से आवेदन किया जा सकता है। इसमें पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर चुनाव होगा। मतलब योजना के अंतर्गत जो पहले आवेदन करेगा। उसे ही योजना का फायदा मिल सकेगा। द्यान विभाग के पोर्टल (horticulture.bihar.gov.in) पर ऑनलाइन आवेदन कर आप योजना का फायदा उठा सकते हैं।

धनराशि इस प्रकार से खर्च की जाएगी

बिहार सरकार के मुताबिक, 50 फीसद अनुदान के उपरांत प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये के प्रोजेक्ट पर तीन किस्तों में धनराशि व्यय की जानी है। प्रथम वर्ष में 60 प्रतिशत तक धनराशि प्रदान की जाएगी। जो कि 30,000 रुपये तक होगी। एक हेक्टेयर में लगाए जाने वाले 400 पौधों का मूल्य 29,000 रुपये होगा। शेष धनराशि कृषकों के खाते में हस्तांतरित की जाएगी। द्वितीय वर्ष में 10 हजार, तीसरे वर्ष में भी 10 हजार रुपये का ही अनुदान मिलेगा। हालांकि, इस दौरान पौधों का ठीक रहना काफी जरूरी है। मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के अंतर्गत 5 हेक्टेयर में आम का बाग लगाया जाना है। प्रति हेक्टेयर 100 पौधों पर 18 हजार रुपये खर्च किए जाऐंगे। आम की किस्मों में मल्लिका, बंबइया, मालदाह, गुलाब खास, आम्रपाली शम्मिलित हैं।
बिहार सरकार कोल्ड स्टोरेज खोलने पर 50% प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

बिहार सरकार कोल्ड स्टोरेज खोलने पर 50% प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत राज्य में कोल्ड स्टोरेज यूनिट की स्थापना हेतु किसानों को अनुदान देने का निर्णय किया गया है। बिहार राज्य में पारंपरिक खेती समेत बागवानी फसलों का भी उत्पादन किया जाता है। बिहार राज्य के किसान सेब, अंगूर, केला, अनार, आम और अमरूद की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। इससे कृषकों की आय में काफी बढ़ोत्तरी भी हुई है। परंतु, कोल्ड स्टोरेज के अभाव की वजह से किसान उतना ज्यादा लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार द्वारा इस परेशानी को दूर करने के लिए किसानों के फायदे हेतु बड़ा निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश में बागवानी फसलों की खेती में अत्यधिक गति आएगी। साथ ही, कृषकों की आमदनी में भी इजाफा हो सकता है।

कोल्ड स्टोरेज से किसानों को काफी फायदा होगा

बिहार सरकार ऐसा मानती है, कि कोल्ड स्टोरेज होने से किसानों की आमदनी बढ़ जाएगी। बाजार में कम भाव होने पर वह अपनी फसल को कोल्ड स्टोरेज में स्टोर कर सकते हैं। जैसे ही भाव में वृद्धि आएगी, वह इसको बाजार में बेच सकते हैं। इससे अच्छा भाव मिलने से किसानों की आमदनी निश्चित रूप से बढ़ेगी। वैसे भी कोल्ड स्टोर के भीतर बहुत दिनों तक खाद्य पदार्थ बेकार नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में किसान भाई हरी सब्जियों एवं फल की तुड़ाई करने के उपरांत कोल्ड स्टोरेज में रखेंगे तो फसलों का खराब होना भी कम हो पाएगा। साथ ही, काफी समय तक वह खराब नहीं होंगे।

बिहार सरकार किसानों को 4000 रुपये अनुदान स्वरूप प्रदान करेगी

बिहार सरकार द्वारा एकीकृत बागवानी मिशन योजना के चलते कोल्ड स्टोरेज यूनिट (टाइप-1) की स्थापना करने के लिए 8000 रुपये की लागत धनराशि तय की गई है। बिहार सरकार की तरफ से इसके लिए किसान भाइयों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में कृषकों को 4000 रुपये मुफ्त में प्राप्त होंगे। जो किसान भाई इस योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो वह कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

आम उत्पादन के मामले में बिहार कौन-से स्थान पर है

जानकारी के लिए बतादें, कि बिहार में बागवानी की खेती काफी बड़े पैमाने पर की जाती है। आम के उत्पादन के मामले में बिहार पूरे भारत में चौथे स्थान पर आता है। तो उधर लीची की पैदावार के मामले में बिहार का प्रथम स्थान पर है। मुज्फ्फरपुर की शाही लीची पूरी दुनिया में मशहूर है। बतादें, कि इसके स्वाद की कोई टक्कर नहीं है। इसके उपयोग से जूस एवं महंगी- महंगी शराबें तैयार की जाती हैं।
सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में 75 फीसद अनुदान

सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में 75 फीसद अनुदान

बिहार में सब्जियों की पैदावार को ज्यादा करने एवं किसानों की सहायता करने के मकसद से राज्य सरकार सब्जी विकास योजना चला रही है। इस योजना के तहत सरकार बीजों की खरीद पर 75 फीसद का अनुदान प्रदान कर रही है। बिहार में कृषकों ने सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के लिए रबी फसलों के साथ ही सब्जी की बिजाई चालू कर दी है। सरकार भी उनका सहयोग कर रही है, जिससे कि पैदावार क्षमता के साथ किसानों की आमदनी बढ़ सके। इसके साथ-साथ सरकार सब्जी पैदावार के क्षेत्र में प्रोत्साहन के लिए अनुदान प्रदान कर रही है। 

साथ ही, जयादा से ज्यादा संख्या में कृषकों को सब्जी विकास योजना के अंतर्गत बीज उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने की योजना तैयार कर रही है। बिहार सरकार ने सब्जी विकास योजना की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत विभिन्न सब्जियों की खेती के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा। इस योजना के तहत कृषकों को उच्च मूल्य वाली सब्जियों के बीजों के वितरण के लिए अनुदान मिलेगा। सरकार सब्जियों में बिना बीज के खीरा, बैंगन एवं बाकी सब्जियों की खेती पर भी अनुदान प्रदान कर रही है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया भी चालू हो चुकी है। इच्छुक किसानों को आवेदन करने का अवसर मिला है, जिससे कि वे इस योजना का फायदा उठा सकें।

सरकार बीजों पर 75 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान कर रही है

बिहार सरकार की तरफ से सब्जियों की उन्नत प्रजाति के बीजों पर कृषकों को धनराशि देने का निर्णय किया गया है, जिसमें 75 फीसद अनुदान करके उच्च मूल्य वाले खीरे एवं बैंगन की इकाई लागत शम्मिलित है। सब्जी विकास योजना के तहत किसानों को एक उप-अवयव में निर्धारित सीमा तक धनराशि प्रदान की जाएगी। सब्जी के 1,000 से 10,000 तक के खरीद पर धनराशि प्रदान की जाएगी। किसानों को 0.25 एकड़ से 2.5 एकड़ तक की सब्जी खेती के बीज पर भी धनराशि प्रदान की जाएगी।

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आवेदन ऑनलाइन माध्यम से करना पड़ेगा

उद्यान पदाधिकारी सूरज पांडेय का कहना है, कि सब्जी विकास योजना का फायदा लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया अब चालू कर दी गई है। उन्होंने बताया है, कि जिन कृषकों के पास जो योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो उनके समीप पूर्व से ही 13 अंकों के डीबीटी संख्या होनी जरूरी है। बतादें, कि जिन कृषकों के पास यह तादात नहीं हो, वे आधिकारिक वेबसाइट dbtagriculture.bihar.gov.in पर पंजीकरण करके इस संख्या की प्राप्ति कर सकते हैं। पंजीकरण संख्या हांसिल होने के पश्चात, किसान horticulture.bihar.gov.in वेबसाइट के लिंक पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

किसानों को 50% प्रतिशत कम कीमत पर इस योजना के तहत बीज प्रदान किए जाऐंगे

किसानों को 50% प्रतिशत कम कीमत पर इस योजना के तहत बीज प्रदान किए जाऐंगे

किसानों को खेती के लिए एक उम्दा गुणवत्ता के बीज प्राप्त होना किसी चुनौती से कम नहीं है। क्योंकि, कालाबाजारी और नकली बीजों की वजह से यह थोड़ा कठिन हो जाता है। परंतु, सरकार की एक योजना के माध्यम से किसान भाई कम कीमत पर बेहतरीन गुणवत्ता के बीज हांसिल कर सकते हैं। बेहतरीन फसल और शानदार उत्पादन के लिए कृषकों को उत्तम गुणवत्ता के बीजों की जरूरत होती है। लेकिन, जानकारी के अभाव में किसान सामन्यतः सही बीजों का चुनाव नहीं कर पाते हैं, जिससे उन्हें काफी हानि का सामना करना पड़ता है। दरअसल, बाजार में इन नकली बीजों को चलन काफी ज्यादा बढ़ गया है। 

नकली और असली बीजों में अंतर पहचानना काफी कठिन है, जिस वजह से किसान फर्क पहचान नहीं पाते और बाद में उनकी फसल चौपट हो जाती है। इससे किसानों को काफी आर्थिक हानि भी उठानी पड़ती है। असली बीजों को कालाबाजारी के चलते किसान भाई प्राप्त नहीं कर पाते। किसानों की इसी समस्या को देखते हुए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। समस्या ने जूझने के लिए सरकार बीज ग्राम योजना (Beej Graam Yojana) लेकर आई है। इस योजना के तहत किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज कम कीमत पर उपलब्ध कराए जाते हैं। 

बीज ग्राम योजना क्या है ?

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि ये केंद्र द्वारा संचालित एक योजना है, जो विशेषकर कृषकों के लिए प्रारंभ की गई है। इस योजना की शुरुआत 2014-15 में हुई थी। योजना के अंतर्गत किसानों को कटाई, बुवाई और अन्य कार्यों का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। ताकि उन्हें और मुनाफा हांसिल हो सके। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य बीजों की कालाबाजारी को समाप्त करना है, ताकि किसानों को समय से अच्छी गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध हो सके। योजना के तहत किसानों को बेहतरीन गुणवत्ता के बीज तो प्रदान किए ही जाते हैं। परंतु, उन्हें ये भी बताया जाता है, कि वे स्वयं इन्हें कैसे उगा सकते हैं। ताकि, किसानों को किसी पर निर्भर न रहना पड़े।

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बीज ग्राम योजना के लाभ 

योजना के अंतर्गत सबसे पहला फायदा यह होता है, कि किसानों को बीजों के लिए यहां-वहां भटकना नहीं पड़ता। अच्छी क्वालिटी के बीजों से उत्पादन अच्छा होता है और किसानों का मुनाफा भी बढ़ जाता है। किसानों को कृषि विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे उन्हें समय-समय पर नई तकनीकों की जानकारी मिलती रहती है। योजना का लाभ सिर्फ उन किसानों को मिल पाएगा, जो आर्थिक रूप से कमजोर है। 

योजना का फायदा कैसे उठाएं किसान ?

अगर आप भी एक किसान हैं और खेती के लिए उत्तम गुणवत्ता यानी क्वालिटी के बीज की खोज कर रहे हैं, तो सरकार की ये बीज ग्राम योजना आपके लिए काफी लाभकारी हो सकती है। इसके लिए आप निम्नलिखित तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। सबसे पहले, आपको अपने नजदीकी कृषि कार्यालय में जाकर जिला कृषि अधिकारी से संपर्क करना होगा। वहां, आप इस योजना के लिए आसानी से अनुरोध कर सकते हैं। ध्यान दें, कि इसके लिए आपको सभी जरूरी दस्तावेजों को साथ लाना होगा, जैसे पासबुक, फोटो, आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र आदि। 

भंडारण की परेशानी से मिलेगा छुटकारा, प्री कूलिंग यूनिट के लिए 18 लाख रुपये देगी सरकार

भंडारण की परेशानी से मिलेगा छुटकारा, प्री कूलिंग यूनिट के लिए 18 लाख रुपये देगी सरकार

उत्पादन करने के बाद फसलों का भंडारण करना एक बहुत बड़ी समस्या है। यह समस्या उन फसलों के लिए कुछ ज्यादा ही बड़ी है जो बागवानी फसलों के अंतर्गत आती हैं। पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान देखा गया कि फसलों का बंपर उत्पादन होने के बावजूद ज्यादतर फसलें उचित भंडारण न होने के कारण खेतों में ही पड़े पड़े खराब हो गईं, जिसके कारण किसानों को भारी घाटा झेलना पड़ा। क्योंकि उन दिनों सभी प्रकार के मार्केट बंद होने के साथ ही मंडियां भी अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रही थीं, जिसके कारण किसान अपनी फसलों को मंडियों तक नहीं पहुंचा पाए और फसलें सड़ गईं। इसके अलावा किसानों के साथ एक बड़ी समस्या ये है कि कई फसलें ऐसी होती हैं, जो कटाई के बाद थोड़ी भी बरसात नहीं झेल पातीं और पानी पड़ते ही उनमें सड़न उत्पन्न होने लगती है। ये किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस प्रकार की समस्या को देखते हुए अब सरकार किसानों की सहायता के लिए आगे आई है। सरकार कई ऐसी योजनाएं चला रही है जिससे किसान अपनी फसलों का भंडारण उचित मात्रा में कर पाएं और जब उन्हें अच्छा भाव मिले तब वो अपनी फसलों को मंडियों में बेच पाएं।

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इसी कड़ी में बिहार सरकार ने किसानों की सहायता करने के लिए प्री कूलिंग यूनिट (Pre Cooling Unit) यानी कोल्ड स्टोरेज (cold storage) लगाने के लिए सहायता प्रदान कर रही है। इसके तहत बिहार सरकार किसानों तथा किसान उत्पादक संगठनों को 18 लाख 75 हजार रूपये तक का अनुदान उपलब्ध करवा रही है, जिससे किसान तथा किसान उत्पादक संगठन एक अच्छे प्री कूलिंग यूनिट का निर्माण कर पाएं, जिसमें वो अपनी फसलों का भंडारण सुरक्षित तरीके से कर सकें। कोल्ड स्टोरेज सब्सिडी योजना के सरकारी निर्देश को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

कितनी मिलेगी प्री कूलिंग यूनिट लगाने पर सब्सिडी ?

बिहार कृषि विभाग, बागवानी निदेशालय (Bihar Agriculture Department , Horticulture Directorate) ने ट्विटर के माध्यम से जानकारी दी है कि, एकीकृत बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत राज्य के किसानों, व्यक्तिगत निवेशकों और किसान उत्पादक संगठनों को जो प्री-कूलिंग यूनिट लगाने के लिए अनुदान दिया जा रहा है, उसमें प्रति इकाई अधिकतम लागत 25 लाख रूपये निर्धारित की गई है।  

• यदि किसान और व्यक्तिगत निवेशक इस इकाई को लगाते हैं, तो सरकार अधिकतम लागत 25 लाख रूपये का 50 प्रतिशत, यानी 12 लाख 50,000 रुपये का अनुदान देगी।

• वहीं यदि किसान उत्पादन संगठन (FPO/FPC) प्री कूलिंग कोल्ड स्टोरेज इकाई लगाना चाहता है, तो सरकार उस संगठन को अधिकतम लागत 25 लाख रूपये का 75 प्रतिशत, यानी 18 लाख 75,000 रुपये का अनुदान प्रदान करेगी।

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 बिहार राज्य के जो भी किसान तथा किसान उत्पादक संगठन एकीकृत बागवानी विकास मिशन (Mission for Integrated Development of Horticulture (MIDH)) के तहत यह प्री कूलिंग स्टोरेज इकाई लगाना चाहते हैं, वो बिहार सरकार की आधिकारिक वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर नियम और कायदे देख सकते हैं और ऑनलाइन माध्यम से अपना आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा जो किसान या किसान उत्पादक संगठन ऑनलाइन आवेदन करने में असमर्थ हैं वो अपने जिले के उद्यान विभाग के सहायक निदेशक से भी संपर्क कर सकते हैं और ऑफलाइन माध्यम से अपना आवेदन और दस्तावेज जमा करवा सकते हैं। आवेदन करते समय आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता नंबर, मोबाइल नंबर, फोटो और किसान होने का कोई प्रमाण अपने साथ रखें। ये दस्तावेज आवेदन करते वक़्त साथ में संलग्न करने होंगे।